A REVIEW OF HINDI STORY

A Review Of hindi story

A Review Of hindi story

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एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण अनपढ़ था इसलिए वह कोई काम नहीं कर सकता था। एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने उसे राजा के पास अपनी समस्या ले कर जाने की सलाह दी। ब्राह्मण ने राजा के पास जा कर उसे आशीर्वाद दिया। राजा ने ब्राह्मण से खुश हो कर एक पर्ची दी और उस पर्ची को खजांची के पास ले जा कर अपना इनाम लेने को कहा। ब्राह्मण बहुत खुश हुआ। वह अक्सर राजा के पास आने लगा।

"गुड़-गुड़ दी एनेक्सी दी वेध्याना दी मूंग दी दाल ऑफ़ दी पाकिस्तान एंड हिंदुस्तान ऑफ़ दी दुर्र फिट्टे मुंह......!"

बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।

बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों। कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे। दो-एक व्यक्ति पगड़ियाँ सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिखर गए थे। छोले-कुलचे वाले का रोज़गार गर्म था, और कमेटी के नल मोहन राकेश

एक बार की बात है, एक बाघ पिंजरे में कैद हो गया। उसने खुद को बहार करने की कोशिश की लेकिन हर बार नाकाम रहा। उसने देखा कि एक ब्राह्मण रास्ता पार कर रहा है। बाघ ने ब्राह्मण से उसकी मदद करने के लिए कहा लेकिन आदमी ने बाघ के खा जाने के डर से मदद करने से मना कर दिया। बाघ मदद के लिए बहुत रोया और उसे न खाने का वादा किया। अंत में, ब्राह्मण ने उसे पिंजरे से मुक्त करने का फैसला किया।

शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

उसी हिंदी के सामने 'उसने कहा था' की वो हिंदी जो आज भी इसलिए ताज़ा और समकालीन लगती है क्योंकि वो एक ओर तो जीवित-व्यावहारिक भाषा को रचना का आधार बनाती है और दूसरी ओर वो इस भाषा की व्यंजनाओं को विरल विलक्षण आँख से पकड़ती है.

रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।

जमींदार को उसकी समस्या से निजात दिलाने के लिए एक साधु मदद के लिए आये । उन्होंने उसे लगातार तीन महीने तक एक पवित्र मंत्र का जाप get more info करने के लिए कहा। तीन महीने तक जप करने के बाद जमींदार को एक जिन्न मिला गया। जिन्न ने बताया की उसे लगातार कुछ न कुछ करते रहना पड़ता है। अगर मालिक एक काम के खत्म होने के तुरंत बाद उसे दूसरा काम देने में विफल रहता है तो जिन्न उसे छोड़ देगा। लेकिन दूसरी तरफ अगर जिन्न ने कोई गलती की तो वह हमेशा के लिए जमींदार और उसकी पत्नी के साथ रहेगा। जमींदार बहुत खुश हुआ। जमींदार जो भी काम देता, जिन्न उसे मिनटों में ख़त्म कर लेता। पर एक दिन जमींदार की पत्नी ने जिन्न को ऐसा काम दे दिया जिसमे जिन्न से गलती हो ही गयी।

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

सबसे पहले हम अपने पाठकगण से यह कह देना आवश्यक समझते हैं कि ये महाशय जिनकी चिट्ठी हम आज प्रकाशित करते हैं रत्नधाम नामक नगर के सुयोग्य निवासियों में से थे। इनको वहाँ वाले हंसपाल कहकर पुकारा करते थे। ये बिचारे मध्यम श्रेणी के मनुष्य थे। आय से व्यय अधिक केशवप्रसाद सिंह

अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा

एक दिन की बात है, वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर वेद को मालिश किया गया।

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